त्रिशूल प्राचीन भारतीय
अस्त्र है।
इस अस्त्र
का नाम
कई देवी-देवताओं
के साथ
जोड़ा जाता
है। महाभारत
के युद्ध
में भी
त्रिशूल का
प्रयोग बहुत
किया है।
त्रिशूल का
नाम मुख्य
रूप से
भगवान महेश
(शिव) और
देवी दुर्गा
के साथ
जोड़ा जाता
है। यह
एक परंपरागत
भारतीय हथियार
है। त्रिशूल की एक विशेष बात यह है की एक हथियार होते हुए भी इसका
एक हिन्दु
धार्मिक चिन्ह
की तरह
भी प्रयोग
होता है।
यह भगवान
महेशजी के
हाथ में
शोभा पाता
है। त्रिशूल
के तीन
सिरों के
कई अर्थ
लगाए जाते
हैं- यह
त्रिगुण मई
सृष्टि का
परिचायक है।
तीन गुण
'सत्व', 'रज'
तथा 'तम'
का यह
परिचायक है।
यह त्रिदेव (भगवान महेश, गणेश और आदिशक्ति देवी पार्वती)
का परिचायक
है। त्रिशूल
देवी दुर्गा
के हाथों
में भी
शोभा पाता
है। विशेषकर
उनके महिषासुर
मर्दिनी रूप
में।
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